प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना क्या है और इसके लिए आवेदन कैसे करें? What is Pradhan Mantri Rashtriya Krishi Vikas Yojana and how to apply for it?

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प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना क्या है और इसके लिए आवेदन कैसे करें? What is Pradhan Mantri Rashtriya Krishi Vikas Yojana and how to apply for it?

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (Rashtriya Krishi Vikas Yojana, RKVY) क्या है?

1. पृष्ठभूमि एवं आरंभ

भारत में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की बढ़ती चुनौतियों (जैसे घटती मिट्टी की उर्वरता, सिंचाई की कमी, तकनीकी पहुंच का अभाव, कृषि-उत्पादकता में असंतुलन) को ध्यान में रखते हुए, केन्द्रीय सरकार ने वर्ष 2007 में इस योजना की शुरुआत की थी। (PM Kisan Samman)
इस योजना का उद्देश्य राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को कृषि-विकास के लिए पूंजी निवेश, कार्यक्रम संचालन और राज्य-विशिष्ट योजनाएँ तैयार करने की स्वतंत्रता देना था। (jslps.org)

2. उद्देश्य

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में समग्र विकास को बढ़ावा देना। (Bajaj FinServ Markets)

  • राज्यों को कृषि-प्रस्ताव (State Agriculture Plan – SAP) तथा जिला-स्तरीय (District Agriculture Plan – DAP) योजनाएँ तैयार करने की छूट देना, ताकि स्थानीय जरूरतों के अनुरूप कार्यक्रम बना सकें। (jslps.org)

  • कृषि-उत्पादकता, लागत-नियंत्रण, जोखिम-कमी, कृषि-व्यवसाय (agribusiness) को बढ़ावा देना। (Krishak Jagat (कृषक जगत))

  • कृषि-मूलभूत संरचना (इनफ्रास्ट्रक्चर) को सुदृढ़ करना – जैसे सिंचाई, मशीनीकरण, कृषि वैज्ञानिक सेवाएँ, मूल्य श्रृंखला-विकास आदि। (www.khetivyapar.com)

3. कार्य-प्रणाली एवं संरचना

  • केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर यह योजना संचालित करती है। उदाहरण के लिए, वित्तपोषण के साथ 60 : 40 या 90 : 10 जैसे अनुपात का प्राविधान रखा गया है (केंद्र : राज्य)। (jslps.org)

  • योजना को विकेन्द्रीकृत (decentralised) दृष्टिकोण से लागू किया गया है — राज्य सरकारें अपनी कृषि व संबद्ध गतिविधियों के लिए प्रस्ताव तैयार करती हैं। (Bajaj FinServ Markets)

  • विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों (जैसे बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, जैविक/सतत कृषि, मशीनीकरण, सिंचाई) में योजनाएँ संचालित की जाती हैं। (Krishak Jagat (कृषक जगत))

4. क्या है लाभ एवं अपेक्षित परिणाम?

  • किसानों की आय में वृद्धि: कृषि-उत्पादन और लागत-प्रबंधन में सुधार करके आय बढ़ाने की दिशा में काम। (jslps.org)

  • कृषि-उत्पादकता एवं संसाधन उपयोग में सुधार: मशीनीकरण, बेहतर बीज–वर्ग, जल-सिंचाई प्रबंधन आदि के माध्यम से। (Krishak Jagat (कृषक जगत))

  • कृषि-मूलभूत संरचना का विकास: वेरिएबल लागत कम करना, समय पर बाजार पहुँच बढ़ाना, मूल्य श्रृंखला को सक्रिय करना। (www.khetivyapar.com)

  • राज्यों में स्वायत्तता और लचीलापन सुनिश्चित करना कि वे अपनी स्थानीय कृषि-चुनौतियों को समझते हुए योजनाएँ बना सकें। (Bajaj FinServ Markets


5. किसने लाभ उठाया?

लाखों किसान, छोटे एवं सीमांत किसान, राज्य कृषि विभाग, सहकारी संस्थाएँ एवं कृषि-उद्योग भागीदारी इस योजना के माध्यम से लाभान्वित हुए हैं। उदाहरणार्थ: एक स्रोत अनुसार इस योजना के अंतर्गत छोटे किसान, अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषक भी लाभार्थी रहे हैं। (Krishak Jagat (कृषक जगत))

आवेदन-प्रक्रिया: कैसे करें आवेदन?

नीचे आवेदन-प्रक्रिया को चरण-बद्ध रूप से समझाया गया है। ध्यान दें कि राज्य-विशिष्ट निर्देश हो सकते हैं, इसलिए अपने राज्य के कृषि विभाग / संबंधित पोर्टल पर भी विस्तार से देखें।

1. पात्रता एवं सूचनाएँ

  • योजना मुख्यतः राज्य सरकारों द्वारा राज्य-/जिला-स्तरीय कृषि विकास प्रस्तावों के लिए है, न कि सीधे व्यक्तिगत किसान-पंजीकरण वाली योजना मात्र। (www.khetivyapar.com)

  • राज्य द्वारा घोषित गतिविधियों (जैसे एग्रोफॉरेस्ट्री, हाई-टेक नर्सरी, पशुपालन इकाई आदि) के लिए आवेदन आमंत्रित होते हैं। उदाहरण: मध्य प्रदेश में “आरकेवीवाई में प्रस्ताव आमंत्रित” शीर्षक से सूचना निकली है। (bhopalsamachar.com)

  • राज्य/जिला स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी, राज्य कृषि विभाग या संबंधित एजेंसी द्वारा आवेदन-प्रपत्र जारी किए जाते हैं।

2. आवेदन-दस्तावेज़

आवेदन करने से पहले निम्नलिखित दस्तावेज़ तैयार रखें:

  • पहचान प्रमाण (आधार/विधानपालिका पहचान)

  • निवास प्रमाणपत्र

  • कृषि भूमि/खाता विवरण (यदि किसान द्वारा आवेदन हो रहा हो)

  • परियोजना-प्रस्ताव/कार्ययोजना (यदि आवेदन किसी इकाई/उपक्रम के लिए हो)

  • बैंक खाता विवरण (पात्रता व ब्यवस्था के लिए)

  • अन्य राज्य-विशिष्ट दस्तावेज़ जैसे आयु प्रमाण, जाति प्रमाण (यदि लागू हो)

3. आवेदन प्रक्रिया

  • संबंधित राज्य कृषि विभाग/संस्था की आधिकारिक वेबसाइट या जिला कृषि कार्यालय से आवेदन-नोटिफिकेशन देखें। उदाहरण के लिए, “राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में आवेदन कैसे करें” शीर्षक से जानकारी उपलब्ध है। (www.khetivyapar.com)

  • नोटिफिकेशन में दिए गए फॉर्म/प्रपत्र को डाउनलोड करें या ऑनलाइन फॉर्म भरें।

  • फॉर्म में मांगी गई जानकारी (उदाहरण-भूमि का विवरण, गतिविधि का प्रकार, अनुमानित लागत एवं लाभ आदि) भरें।

  • आवेदन के साथ निर्धारित दस्तावेज़ अपलोड करें या प्रमाणित प्रतियाँ जमा करें।

  • आवेदन जमा करने के बाद, राज्य/जिला स्तर की जाँच-प्रक्रिया होगी। इसके बाद चयनित प्रस्तावों को अनुदान/वित्त पोषण हेतु स्वीकृति दी जाती है।

4. चयन एवं अनुदान अप्रूवल

  • राज्य/जिला कृषि विभाग द्वारा आवेदन की समीक्षा की जाती है। पात्रता, तकनीकी योग्यता, प्रस्तावित गतिविधि की व्यवहार्यता इत्यादि पर ध्यान दिया जाता है।

  • स्वीकृति मिलने पर केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी के अनुसार अनुदान जारी किया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ राज्य-घोषणाओं में “अनुदान दर” और “लाभार्थी सीमा” तय होती है। (Krishak Jagat (कृषक जगत))

  • स्वीकृत गतिविधि के पश्चात्, लाभार्थी द्वारा क्रियान्वयन करना होता है, तथा समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट आदि जमा करनी होती है।

5. राज्य-विशिष्ट उदाहरण

  • उदाहरण के लिए, राजस्थान के कृषि विभाग की वेबसाइट पर जैविक खेती से संबंधित सहायता-राशि के विवरण दिए गए हैं: “भूमि का जैविक परिवर्तन ₹1,500/- प्रति हेक्टेयर” आदि। (rajkisan.rajasthan.gov.in)

  • मध्य प्रदेश में “आरकेवीवाई में प्रस्ताव आमंत्रित” शीर्षक से नर्सरी विकास हेतु आवेदन जारी हुए हैं। (bhopalsamachar.com)

6. आवेदन हेतु सुझाव व ध्यान देने योग्य बातें

  • आवेदन से पहले अपने राज्य/जिला कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश व न्यूनतम योग्यता जरूर देखें।

  • समय से आवेदन करें — अधिसूचना में दिए गए अंतिम तिथि का पालन करें।

  • प्रस्ताव की व्यवहार्यता (उदाहरण- लागत- लाभ विश्लेषण, बाजार पहुँच, कृषि तकनीक उपयोग) पर ध्यान दें। यह चयन में सहायक होगा।

  • जमीन/भूमि-हिस्सा व बैंक खाता विवरण सुनिश्चित रखें — यह अनुदान भुगतान के लिए आवश्यक है।

  • क्रियान्वयन के बाद लागत व लाभ हेतु डेटा रखें — समीक्षा के लिए एवं भविष्य में अन्य सहायता हेतु यह सहायक होगा।

  • यदि समूह/संस्था/किसान-प्रोड्यूसर-ऑर्गनाइजेशन (FPO) द्वारा आवेदन हो रहा हो, तो सदस्य-संगठन की स्थिति, संचालन क्षमता आदि सुनिश्चित करें।

आरकेवीवाई के अंतर्गत प्रमुख घटक-गत क्षेत्र

इस खंड में कुछ ऐसे क्षेत्र दिए गए हैं जहाँ आरकेवीवाई योजनाएँ अधिक सक्रिय रही हैं:

  • सिंचाई व जल-संसाधन प्रबंधन: जल संरक्षण, बूंद-बूंद सिंचाई, भू-जल पुनर्भरण आदि।

  • मशीनीकरण व कृषि-तकनीक: ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, बीज–प्रसंस्करण इकाइयाँ, कृषि-रोबोटिक्स आदि (राज्य-स्तर पर भिन्नता)।

  • बागवानी, पौधरोपण व नर्सरी विकास: उच्च-तकनीक नर्सरी, मूल्य वर्धन, निर्यात-उन्मुख बागवानी।

  • पशुपालन, मत्स्यपालन व अन्य संबद्ध गतिविधियाँ: इन क्षेत्रों को कृषि-विभिन्नता के भाग के रूप में देखा गया है।

  • मूल्य–श्रृंखला विकास व कृषि-इनफ्रास्ट्रक्चर: संग्रहण, प्रसंस्करण, विपणन, कृषि-उद्योगीकरण।

चुनौतियाँ एवं सुझाव

चुनौतियाँ

  • राज्य-स्तर पर कार्यान्वयन में देरी, प्रस्ताव स्वीकृति प्रक्रिया जटिल होना।

  • लाभार्थियों तक पहुँच-वित्तपोषण में बाधाएँ।

  • कृषि परिवर्तनशीलता (मौसम, बाज़ार) तथा जोखिम-प्रबंधन की कमी।

  • सूचना-प्रचार की कमी: अक्सर छोटे/सीमांत किसानों को इन योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती।

सुझाव

  • सूचनाओं का सतत् प्रचार – इन्टरनेट, कृषि कार्यालय, किसान-मित्र पहुंच।

  • चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं समय-बद्धता सुनिश्चित करना।

  • किसानों को तकनीकी व वित्तीय सलाह देना: उदाहरण- लागत-लाभ विश्लेषण, बाज़ार-उन्मुख योजना बनाना।

  • समूह-किसानों / FPOs / कृषक क्लबों को शामिल करना ताकि संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके।

  • राज्य-जिला-स्तरीय कृषि विभागों के समन्वय को मजबूत करना ताकि योजनाएँ समय पर लागू हों।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) भारत में कृषि-क्षेत्र को स्थायी रूप से विकसित करने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। यह योजना राज्य-स्तर को अधिक अधिकार देती है एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप योजनाओं को आकार देने का अवसर देती है। यदि आप किसान/उद्यमी हैं या कृषि-उपक्रम चलाते हैं, तो इस योजना की जानकारी लें, अपने राज्य/जिला कृषि विभाग से सम्पर्क करें, आवश्यक प्रपत्र व निर्देश देखें, और समय पर आवेदन करके लाभ उठाएँ।

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