Goods and Services Tax (GST) क्या है,और GST पंजीकरण (आवेदन) कैसे करें

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Goods and Services Tax (GST) क्या है,और GST पंजीकरण (आवेदन) कैसे करें

Goods and Services Tax (GST) क्या है, इसके उद्देश्य, प्रकार, लाभ-हानि, दरें, किसे लागू होती है, किन मामलों में अनिवार्य है, और GST पंजीकरण (आवेदन) कैसे करें — पूरे क्रमबद्ध और समझने योग्य तरीके से। आप चाहें तो इसके बाद कुछ FAQs (सामान्य प्रश्न) और सुझाव भी दे सकता हूँ। 


1. GST क्या है?

1.1 परिभाषा

GST, यानी “Goods and Services Tax” का अर्थ है वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला कर, जिसे खरीदार द्वारा अंततः चुकाया जाता है, लेकिन कारोबारियों द्वारा संग्रहित कर सरकार को दिया जाता है। 

भारत में GST 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ, जब यह समेकित रूप में विभिन्न राज्य और केंद्र के अप्रत्यक्ष करों को स्थानापन्न करने के लिए लाया गया था। 

1.2 क्यों लाया गया?

GST लाने के पीछे मुख्य उद्देश्यों में ये शामिल थे:

पूर्व के कर ढाँचे में विभिन्न करों (जैसे वॉल्यू एडेड टैक्स (VAT), सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य बिक्री कर आदि) शामिल थे, जिससे करों का “कर पर कर” (cascading tax) की समस्या थी। GST इससे निजात देने का माध्यम है। देशभर में एक समेकित कर प्रणाली बनाना — “एक देश-एक कर” के सिद्धांत को मजबूत करना। कराधान की प्रक्रिया को सरल बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना, तथा अंततः उपभोक्ता पर कर का बोझ कम करना।

1.3 GST का स्वरूप

कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

बहु-चरणीय कर (Multi-Stage Tax): उत्पादन से अंत उपभोक्ता तक विभिन्न चरणों में मूल्यवर्धन (value-addition) पर कर लगेगा, लेकिन पिछली स्टेज में चुकाए गए करों का क्रेडिट (input tax credit) मिलेगा, ताकि अंतिम उपभोक्ता तक कर बार-बार न लगे। 

लक्ष्य-भित (Destination-Based) कर: अर्थात् कर उस राज्य को मिलता है जहाँ वस्तु/सेवा का उपभोक्ता है (उत्पादन वाले राज्य को नहीं)। 

दो-स्तरीय (Dual) भारत में प्रणाली: भारत में GST को केन्द्र और राज्यों द्वारा मिलकर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, राज्य-अंदर (intra-state) लेन-देन में केंद्रीय GST (CGST) + राज्य GST (SGST) लगाए जाते हैं; राज्य-बाहर (inter-state) लेन-देन में एकीकरण GST (IGST) लगाया जाता है। 

2. GST के उद्देश्य एवं लाभ-हानि

2.1 उद्देश्य

कर व्यवस्था को सरल बनाना; विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को खत्म या समाहित करना। कर आधार (tax base) बढ़ाना तथा कर जमा-प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना। व्यापारियों के लिए अनुपालन (compliance) बोझ कम करना तथा प्रतिस्पर्धा-क्षेत्र में सुधार। अंततः उपभोक्ता को सस्ता सामान/सेवा उपलब्ध कराना और अर्थव्यवस्था में सुधार लाना।

2.2 लाभ

विभिन्न टैक्सों के मिलने-जुलने से कर चक्र (cascading) कम हुआ। इनपुट टैक्स क्रेडिट (input tax credit) के कारण उत्पादन लागत में कमी आ सकती है। व्यापारियों के लिए एक समेकित पोर्टल और प्रक्रिया: ऑनलाइन पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना आदि। विभिन्न राज्यों में कर दरों और प्रशासन के विभिन्न नियमों की वजह से होने वाले व्यापार अड़चनों में कमी। उपभोक्ता के लिए अंततः कम कीमतें और बेहतर सुगमता।

2.3 चुनौतियाँ / हानियाँ

शुरुआत में व्यापारियों को नई प्रणाली समझने, पोर्टल-प्रक्रिया अपनाने में कठिनाई हुई। छोटे व्यापारियों पर अनुपालन बोझ बढ़ सकता है (रजिस्ट्रेशन, रिटर्न दाखिल करना आदि)। यदि सही तरह से क्रेडिट ट्रैक न हो सके तो कर चोरी/फर्जी इनपुट क्रेडिट का जोखिम रहता है। सभी वस्तुओं-सेवाओं पर लागू नहीं — कुछ विशेष वस्तुएँ/सेवाएँ अभी भी पुराने नियमों के अधीन हैं। 

3. GST किस-किस पर लागू है?

3.1 लागू होने वाले लेन-देन

GST निम्नलिखित गतिविधियों पर लागू होता है:

किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति (supply) – बिक्री, आदान-प्रदान, पट्टा, किराया, निर्माण आदि।  राज्य-अंदर वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति → CGST + SGST। राज्य-बाहर वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति → IGST। आयातित वस्तुएँ/सेवाएँ भी GST की दायरे में आ सकती हैं। 

3.2 सीमाएँ / अपवाद 

कुछ विशेष वस्तुएँ जैसे पेट्रोल, डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस, एवं मानव उपभोग के लिए शराब (alcohol for human consumption) आदि अभी GST के दायरे में नहीं आते। कुछ सेवाएँ/वस्तुएँ माफ-कर (exempt) या शून्य % (0 %) दर पर हो सकती हैं।

3.3 पंजीकरण का दायरा (Thresholds)

GST पंजीकरण (registration) अनिवार्य होता है यदि व्यापार का वार्षिक कारोबार (turnover) एक निर्धारित सीमा से ऊपर हो। उदाहरण के लिए: 

माल (goods) आपूर्ति करने वालों के लिए – अधिकांश राज्यों में ₹40 लाख/₹20 लाख (विशेष राज्य) से ऊपर। सेवा (services) आपूर्ति करने वालों के लिए – आमतौर पर ₹20 लाख की सीमा।  लेकिन ऑनलाइन विक्रय, ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के माध्यम से बिक्री आदि मामलों में पंजीकरण आवश्यक हो सकता है चाहे कारोबार छोटा ही क्यों न हो।

4. GST की दरें (Rates)

4.1 दरें कैसे तय होती हैं?

GST दरें विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार पर आधारित होती हैं — आवश्यक वस्तुएँ, सामान्य सेवाएँ, विलासिताएँ आदि।

4.2 भारत में दरों की स्थिति

  • भारत में GST के प्रमुख स्लैब: 0 %, 5 %, 12 %, 18 %, 28 % (कुछ विलासिताओं के लिए अधिक)। 

  • हाल-हाली में (2025) में एक नई सुधार श्रृंखला आई है जिसमें स्लैब संरचना को सरल करने का निर्णय लिया गया है। 

  • उदाहरण के लिए, आवश्यक वस्तुओं एवं रोजमर्रा की चीजों पर 5 % या उससे कम दर हो सकती है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स या सेवाओं पर 18 % आदि। 

4.3 इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC)

registered व्यवसायों को खरीद (इनपुट) पर चुकाए गए GST का क्रेडिट मिलता है जिसे वे आगे बिक्री (आउटपुट) से मिले GST में समायोजित कर सकते हैं। इस प्रकार कर-चक्र कम होता है। 

5. GST पंजीकरण (Registration) कैसे करें?

यह सबसे महत्वपूर्ण भाग है यदि आप व्यापार कर रहे हैं या शुरुआत करना चाहते हैं। नीचे पंजीकरण की प्रक्रिया विस्तार से दी गई है — क्रमबद्ध चरणों सहित।

5.1 कौन पंजीकरण करने के लिए योग्य है?

  • यदि आपके व्यवसाय का सामान या सेवा का कारोबार उस राज्य/देश में है जहाँ पंजीकरण होना आवश्यक है (उपरोक्त थ्रेशहोल्ड से ऊपर)।

  • यदि आप राज्य-बाहर (inter-state) आपूर्ति कर रहे हैं।

  • यदि आप ई-कॉमर्स विक्रेता हैं (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से बिक्री करते हैं)।

  • चाहें कम कारोबार हो, लेकिन आप स्वयं पंजीकरण लेना चाहें — यह स्वैच्छिक (voluntary) भी हो सकता है।

5.2 पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज़

कुछ सामान्य दस्तावेज़ निम्नलिखित हैं:

  • PAN (Permanent Account Number) व्यवसाय/प्रोप्राइटर/कंपनी का। मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी (प्रोमोटर / प्राधिकृत हस्ताक्षारी)। 

  • व्यवसाय का पता (प्रिंसिपल स्थान) — किराया/मालिकाना प्रमाण, बिजली बिल, खाता आदि। 

  • बैंक खाता विवरण। (कुछ मामलों में समय बाद भी जोड़ा जा सकता है) 

  • व्यवसाय का स्वरूप (उदाहरण के लिए – एकल स्वामी, पार्टनरशिप, कंपनी) तथा अन्य संकेतक। 

5.3 पंजीकरण प्रक्रिया – ऑनलाइन (Step-by-Step)

नीचे प्रक्रिया ऑनलाइन करने के प्रमुख चरण दिए जा रहे हैं:
चरण A: प्रारंभिक विवरण (Part A)

  1. आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ: www.gst.gov.in

  2. मेनू में “Services > Registration > New Registration” चुनें। 

  3. “I am a” में “Taxpayer” चुने। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश व जिला चुनें।

  4. व्यवसाय का कानूनी नाम (PAN में दर्ज नाम) और PAN अंकित करें।

  5. प्राथमिक प्राधिकृत हस्ताक्षारी का ई-मेल व मोबाइल नंबर दर्ज करें (OTP भेजा जाएगा)।

  6. कैप्चा भरें और “Proceed” पर क्लिक करें।

  7. मोबाइल और ई-मेल दोनों पर OTP आएगा, उसे भरें। OTP की वैधता सीमित होती है।

  8. OTP सही दर्ज करने पर Temporary Reference Number (TRN) मिलेगा।

चरण B: विवरण और दस्तावेज़ अपलोड (Part B)
9. फिर पोर्टल पर “New Registration” → “Temporary Reference Number (TRN)” विकल्प चुनें। TRN एवं कैप्चा डालें।
10. फिर OTP सत्यापन होगा।
11. एप्लीकेशन फॉर्म खुलेगा जिसमें अलग-अलग टैब होंगे जैसे: व्यवसाय का विवरण, प्रमोटर/पार्टनर का विवरण, प्रमुख स्थान व्यवसाय, अतिरिक्त जगहें, वस्तु एवं सेवा का विवरण, राज्य सूचना, आधार प्रमाणीकरण आदि। 
12. सभी विवरण सावधानीपूर्वक भरें, आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
13. फॉर्म को डिजिटल सिग्नेचर (DSC) या इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) या ई-साइन (Aadhaar आधारित) द्वारा सत्यापित करें।
14. आवेदन सबमिट करें; सिस्टम Application Reference Number (ARN) जनरेट करेगा। आप इसका उपयोग आवेदन की स्थिति ट्रैक करने एवं प्रमाणपत्र डाउनलोड करने के लिए कर सकते हैं। 

5.4 आवेदन स्वीकृति / प्रमाणपत्र

  • आवेदन सफल रहने पर प्रमाणपत्र (GST Registration Certificate) जारी होगा और आपको GSTIN (GST Identification Number) मिलेगा।

  • यदि कोई सूचना या दस्तावेज़ अधूरा हो, तो कर प्राधिकरण द्वारा नोटिस भेजा जा सकता है, जिसमें समय-सीमा के भीतर जवाब देना होगा। 

5.5 पंजीकरण पश्चात क्या करना है?

  • आपका GSTIN प्राप्त होने के बाद, उसे चालान और रसीदों पर अंकित करें।

  • नियमित रूप से GST रिटर्न दाखिल करें (मासिक/त्रैमासिक) — आउटपुट व इनपुट विवरण दें।

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट का सही हिसाब रखें।

  • यदि व्यवसाय स्थान बदलता है, अतिरिक्त स्थान स्थापित करता है या स्वरूप बदलता है (जैसे एकल स्वामी से कंपनी में बदलना) तो पंजीकरण में संशोधन करें।

6. व्यावहारिक सुझाव (Tips)

  • पंजीकरण से पहले PAN, मोबाइल, ई-मेल, व्यवसाय पता, बैंक खाते की जानकारी पहले से तैयार रखें।

  • दस्तावेज़ों को स्कैन/अपलोड करने योग्य रूप से रखें (JPG, PDF आदि) – फाइल का आकार एवं नाम सही हो।

  • यदि ऑनलाइन प्रक्रिया में किसी परेशानी का सामना हो, तो नजदीकी GST सेवा केंद्र या कर सलाहकार से संपर्क करें।

  • पंजीकरण मिलने के बाद, चालान/बिलिंग प्रणाली में GSTIN व GST दरों का सही अंकन करें। इससे करदाता को आखरी उपभोक्ता से ले कर इनपुट टैक्स क्रेडिट तक बेहतर सुविधा मिलती है।

  • कारोबार की नियमित निगरानी रखें कि क्या आप पंजीकरण थ्रेशहोल्ड के अंदर हैं या बाहर आ जाएंगे — समय से पंजीकरण कराने से बाद में जुर्माना बचता है।

  • यदि कारोबार में राज्य-बाहर आपूर्ति है, तो IGST, उपयुक्त HSN/SAC कोड आदि की जानकारी रखें।

  • समय-समय पर GST दरों, नियमों एवं अपडेट्स को देखें — उदाहरण के लिए 2025 में दरों एवं स्लैब में बदलाव हुआ है।

बहुत बढ़िया 👍
अब मैं आपको GST REG-01 आवेदन फॉर्म के हर सेक्शन का विस्तृत विवरण और कॉम्पोज़िशन स्कीम (Composition Scheme) की जानकारी दूँगा — जिससे आप समझ सकें कि आवेदन करते समय कौन-कौन सी जानकारी कहाँ भरनी होती है और छोटे व्यापारियों के लिए इसमें क्या सुविधाएँ हैं।


🧾 भाग A: GST REG-01 फॉर्म का विस्तृत विवरण

GST पंजीकरण के लिए यही मुख्य आवेदन-पत्र है जो www.gst.gov.in पोर्टल पर भरा जाता है। यह दो भागों में होता है — Part A और Part B

Part A – प्रारंभिक विवरण (Basic Details)

इस भाग में आपको निम्न जानकारी देनी होती है:

  1. कानूनी नाम (Legal Name of Business):

    • यह PAN के अनुसार होना चाहिए। किसी भी प्रकार की स्पेलिंग-त्रुटि आवेदन को अस्वीकार करा सकती है।

  2. PAN नंबर:

    • व्यवसाय, कंपनी या प्रोप्राइटर का स्थायी खाता संख्या (Permanent Account Number)।

    • पंजीकरण की पहचान का मुख्य आधार यही है।

  3. ई-मेल और मोबाइल नंबर:

    • OTP द्वारा सत्यापन (Verification) के लिए प्रयोग होता है।

  4. राज्य और जिला:

    • जहाँ आपका व्यवसाय का प्रमुख स्थान है।

  5. Type of Registration:

    • Taxpayer / TDS Deductor / TCS Collector / Casual Taxable Person / Non-Resident Taxable Person आदि में से चयन करें।

  6. Temporary Reference Number (TRN):

    • विवरण सबमिट करने पर आपको TRN प्राप्त होता है। इससे आप बाद में फॉर्म का Part B पूरा कर सकते हैं।

Part B – विस्तृत विवरण (Detailed Application)

TRN से लॉगिन करने के बाद आप यह सेक्शन भरते हैं। इसमें लगभग 10 टैब होते हैं:

1. Business Details (व्यवसाय का विवरण):

  • व्यापार का कानूनी नाम, व्यापार का नाम (Trade Name), पंजीकरण का कारण (New Business / Turnover Exceeded / Others)।

  • क्या आप कॉम्पोज़िशन स्कीम के तहत पंजीकरण लेना चाहते हैं — “Yes/No” विकल्प।

  • व्यवसाय की शुरुआत की तिथि (Date of Commencement)।

  • व्यवसाय की कानूनी संरचना – Proprietorship, Partnership, LLP, Private Ltd., Public Ltd., Society, Trust आदि।

2. Promoter / Partners (प्रवर्तक / साझेदार का विवरण):

  • प्रत्येक मालिक, पार्टनर या निदेशक का नाम, पिता का नाम, जन्म-तिथि, PAN, मोबाइल, ई-मेल आदि।

  • पहचान पत्र (Aadhaar, Passport, Voter ID आदि) अपलोड करने की आवश्यकता।

  • उनके प्रतिशत हिस्सेदारी और हस्ताक्षर अधिकार।

3. Authorized Signatory (प्राधिकृत हस्ताक्षरी):

  • जो व्यक्ति GST पोर्टल पर साइन-इन और फाइलिंग करेगा।

  • यदि आप स्वयं हैं तो वही व्यक्ति चुना जा सकता है।

  • उसका PAN, मोबाइल, ई-मेल, पहचान पत्र आदि जानकारी।

4. Principal Place of Business (मुख्य व्यवसाय स्थान):

  • पूरा पता — बिल्डिंग नंबर, सड़क, क्षेत्र, पिन कोड, राज्य, जिला।

  • व्यवसाय के स्थान का स्वामित्व प्रकार – मालिकाना / किराए पर / साझा।

  • दस्तावेज़: बिजली बिल, किराया समझौता, भूमि स्वामित्व प्रमाण आदि।

  • यहाँ यह भी बताना होता है कि क्या यह व्यवसाय भंडारण, बिक्री, कार्यालय या निर्माण स्थल है।

5. Additional Place of Business (अतिरिक्त स्थान):

  • यदि अन्य शाखाएँ हैं, तो उनके पते और दस्तावेज़ दें।

6. Goods and Services (वस्तुएँ एवं सेवाएँ):

  • जिन वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं उनके HSN कोड (Harmonized System of Nomenclature) दें — कम से कम शीर्ष 5 उत्पाद।

  • सेवाओं के लिए SAC कोड (Service Accounting Code) दें।

7. Bank Account Details (बैंक खाता विवरण):

  • बैंक का नाम, खाता संख्या, IFSC कोड।

  • बैंक पासबुक / स्टेटमेंट की स्कैन कॉपी अपलोड करें।

8. State-Specific Information (राज्य-विशिष्ट जानकारी):

  • उदाहरण: राज्य कर विभाग द्वारा मांगी गई अतिरिक्त सूचनाएँ (जैसे प्रोफेशन टैक्स आदि)।

9. Verification (सत्यापन):

  • यहाँ यह घोषणा करनी होती है कि दी गई जानकारी सही है।

  • Digital Signature Certificate (DSC) या E-Sign (Aadhaar आधारित OTP) से सत्यापन करें।

10. Submission and ARN Generation (प्रस्तुति एवं ARN):

  • सबमिशन के बाद Application Reference Number (ARN) प्राप्त होता है।

  • इस नंबर से आवेदन-स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।

📘 भाग B: Composition Scheme (कॉम्पोज़िशन योजना)

यह योजना छोटे कारोबारियों के लिए है ताकि उन्हें हर महीने रिटर्न भरने या जटिल गणनाओं से राहत मिले।

1. उद्देश्य:

छोटे व्यापारियों के अनुपालन-बोझ को कम करना और एक सरल कर प्रणाली देना।

2. कौन पात्र है:

  • जिनका वार्षिक टर्नओवर ₹1.5 करोड़ तक है (उत्तर-पूर्व राज्यों में ₹75 लाख)।

  • केवल वस्तुओं की बिक्री या कुछ सीमित सेवाएँ।

  • जो व्यक्ति राज्य-बाहर आपूर्ति नहीं करता।

  • ई-कॉमर्स के माध्यम से बिक्री करने वाले पात्र नहीं हैं।

3. लाभ:

  • सरल रिटर्न प्रक्रिया (त्रैमासिक भुगतान)।

  • कर-दरें निश्चित (कम) होती हैं:

    • व्यापारियों के लिए लगभग 1%,

    • रेस्तरां सेवा के लिए 5%,

    • अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए 6%

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने-देने की आवश्यकता नहीं।

  • ग्राहकों से GST अलग से चार्ज करने की जरूरत नहीं — कुल बिल में सम्मिलित होता है।

4. हानि / सीमाएँ:

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलती।

  • राज्य-बाहर आपूर्ति नहीं कर सकते।

  • व्यवसाय पर “Composition Taxable Person” लिखना अनिवार्य है।

  • यदि टर्नओवर सीमा पार हो जाए तो योजना से बाहर आना पड़ता है।

निष्कर्ष

GST REG-01 फॉर्म का प्रत्येक सेक्शन सटीक जानकारी मांगता है — किसी भी गलत या अधूरी जानकारी से आवेदन अस्वीकृत हो सकता है। इसलिए आवेदन से पहले:

  • सभी दस्तावेज़ व्यवस्थित रखें,

  • सही कोड (HSN/SAC) चुनें,

  • और यदि आप छोटे व्यापारी हैं, तो कॉम्पोज़िशन स्कीम का लाभ अवश्य विचार करें।


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