What is Pradhan Mantri Matsya Sampada and how to apply for it online?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा क्या है और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?

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What is Pradhan Mantri Matsya Sampada and how to apply for it online?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा क्या है और इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) भारत में मत्स्य पालन और जलीय कृषि के सतत विकास के लिए एक सरकारी पहल है। इसके तहत मछुआरों और मछली किसानों की आय बढ़ाने और 'नीली क्रांति' लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ऑनलाइन आवेदन के लिए, आपको अपने राज्य के मत्स्य पालन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर या myScheme पोर्टल पर जाकर, 'योजनाएं' अनुभाग के तहत योजना का चयन करना होगा और फिर 'लागू करें' बटन पर क्लिक करना होगा


प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) भारत सरकार द्वारा मछलीपालन एवं जलीय कृषि क्षेत्र में “नीली क्रांति” लाने के लिए चलाई जा रही एक प्रमुख योजना है।

यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पहली चरण में पूरे भारत में लागू है।
इसके अंतर्गत मत्स्यपालन (इनलैंड व मैरीटाइम), ग्राउंड् इन्फ्रास्ट्रक्चर, पोस्ट-हार्वेस्ट स्ट्रक्चर, वैल्यू चेन विकास, अनुसंधान एवं विकास आदि व्यापक गतिविधियाँ शामिल हैं। 

1.1 पृष्ठभूमि

  • भारत में मत्स्यपालन एवं जलीय कृषि क्षेत्र खाद्य सुरक्षा, पोषण, रोजगार तथा निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • मछली उत्पादन एवं निर्यात को बढ़ावा देना तथा मत्स्यपालन से जुड़े लोगों की आय दोगुनी करने की लक्ष्य-सिद्धि इस योजना का मूल लक्ष्य है। 

  • अवसंरचना की कमी, पोस्ट-हार्वेस्ट क्षति, विपणन व प्रसंस्करण की चुनौतियाँ आदि को ध्यान में रखते हुए इस योजना की जरूरत महसूस की गई थी। 

1.2 मुख्य उद्देश्य

इस योजना के अंतर्गत प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • मत्स्यपालन क्षेत्र की क्षमता (इनलैंड व समुद्री) का उत्तरदायी, टिकाऊ एवं समावेशी उपयोग बढ़ाना। 

  • भूमि एवं जल संसाधनों के कुशल उपयोग द्वारा उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि। 

  • कटाई-बाद प्रबंधन, गुणवत्ता सुधार, वैल्यू चेन को आधुनिक बनाना।

  • मछुआरों, मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना एवं रोजगार उत्पन्न करना। 

  • मत्स्यपालन क्षेत्र में निर्यात व सकल मूल्य वर्धित (GVA) में योगदान बढ़ाना। 

  • मत्स्यपालन प्रबंधन-विनियमन के लिए मोक्ष व संरचना तैयार करना। 

1.3 योजना की रूपरेखा

  • इस योजना को केंद्रीय क्षेत्र व केंद्र-प्रायोजित योजना के रूप में दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है। 

  • कुल निवेश लगभग ₹20,050 करोड़ (≈ २० हजार करोड़ रुपये) निर्धारित किया गया था। 

  • यह योजना सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू है। 

2.1 लाभार्थी कौन हो सकते हैं

इस योजना के अंतर्गत निम्न श्रेणियाँ इसके लाभार्थी हो सकती हैं:

  • मछुआरे (फिशर्स) / मत्स्य किसान / मत्स्य श्रमिक / मत्स्य विक्रेता। 

  • मत्स्य पालन इकाइयाँ, मत्स्य किसान-उत्पादक संगठन (FPOs/FFPOs), सहकारी समिति, निजी उद्यमी आदि। 

  • राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश एवं उनकी एजेंसियाँ, मत्स्य विकास बोर्ड इत्यादि। 

2.2 पात्रता – मुख्य मानदंड

पात्रता-मानदंड (eligibility) राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश व गतिविधि के प्रकार पर निर्भर करते हैं, लेकिन सामान्यतः निम्न बातें ध्यान देने योग्य हैं:

  • लाभार्थी भारत का नागरिक होना चाहिए। 

  • मत्स्यपालन-सम्बंधित गतिविधि (जैसे तालाब निर्माण, हैचरी यूनिट, फीड यूनिट, कोल्ड स्टोरेज, केज कल्चर आदि) प्रस्ताव होनी चाहिए। 

  • परियोजना-प्रस्ताव (DPR) व आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य है। 

  • अधिकांश मामलों में भूमि/जलाधार संबंधी स्वीकृति, बैंकर/वित्तीय संस्थान की सहमति, बैंक खाता, पहचान प्रमाण इत्यादि मांगे जाते हैं। 

  • राज्य/UT विशेष निर्देश हो सकते हैं — जैसे ‘डिजिटल पंजीकरण’ अनिवार्य करना। उदाहरण के लिए झारखंड में पंजीकरण प्लेटफॉर्म ज़रूरी कर दिया गया है।

2.3 अनुदान-दर (Subsidy Rates)

अनुदान दर लाभार्थी श्रेणी व गतिविधि के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। आमतौर पर:

  • सामान्य श्रेणी (General category) के लिए: लागत का ~40% तक। 

  • महिला / SC / ST / उत्तर-पूर्व / हिमालयी / लवणीय/क्षारीय क्षेत्र जैसी संवेदनशील श्रेणियों के लिए: लागत का ~60% तक। 

  • राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए केंद्रीय व राज्य-योगदान (centre-state sharing) की अलग दरें निर्धारित हैं।

3. योजना की विशिष्ट गतिविधियाँ

योजना का दायरा काफी व्यापक है। नीचे कुछ प्रमुख गतिविधियाँ व उनके उद्देश्य दिए गए हैं:

  • तालाब निर्माण / जलाशय विकास (इनलैंड फिन-फिश)

  • समुद्री/खारे पानी में केज कल्चर (Cage culture)

  • हैचरी व ब्रीडिंग केंद्र, मत्स्य बीज संवर्धन

  • पोस्ट-हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर — कोल्ड स्टोरेज, आइस बॉक्स, फिश कियोस्क, नेल मार्ग परिवहन आदि

  • फीड मील यूनिट्स, बायो-फ्लॉक सिस्टम, अन्य आधुनिक तकनीकें

  • वैल्यू चेन विकास, प्रोसेसिंग यूनिट्स, निर्यात-उन्मुख इकाइयाँ

  • अनुसंधान, विकास एवं प्रशिक्षण-विस्तार सेवाएँ

  • लवणीय/क्षारीय भूमि व खारे पानी संसाधनों का उपयोग
    मामले के अनुसार राज्य-विशिष्ट गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं।

4. योजना के लाभ

मछली उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि → देश की खाद्य-प्रोटीन सुरक्षा, पोषण में सुधार। मत्स्यपालन से जुड़े लोगों (मछुआरे/मत्स्य किसान) की आय में वृद्धि, आजीविका के अवसर बढ़ना। निर्यात बढ़ने से विदेशी मुद्रा-अर्जन व राष्ट्र-आर्थिक लाभ। मत्स्यपालन क्षेत्र का आधुनिकरण (टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, वैल्यू चेन) → प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार। रोजगार सृजन – सीधा और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में। मछुआरों/मत्स्य व्यवसायियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा का प्रावधान (जैसे बीमा कवरेज, ऋण सुविधा)।

5. योजना का कार्यान्वयन एवं प्रगति

  • इस योजना के अंतर्गत अब तक राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए केंद्रीय एवं राज्य-योगदान स्वीकृत किया है। उदाहरण के तौर पर: वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24 के दौरान लगभग ₹20 864.29 करोड़ की लागत की प्रस्ताव स्वीकृत की गई थी। 

  • राज्यों द्वारा योजना के क्रियान्वयन, समीक्षा तथा मॉनिटरिंग के लिए समय-समय पर बैठकों का आयोजन किया गया है। 

  • अलग-अलग राज्यों में डिजिटल प्लेटफार्मों पर पंजीकरण व ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा बढ़ रही है। उदाहरण: झारखंड में पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।

6. आवेदन – ऑनलाइन प्रक्रिया

यहाँ पर देखिए कि यदि आप इस योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं, तो कैसे करें।

6.1 आवेदन करने से पहले

  • सुनिश्चित करें कि आप पात्र हैं (उपरोक्त पात्रता बिंदुओं के अनुरूप)।

  • परियोजना प्रस्ताव (DPR) तैयार करें जिसमें गतिविधि, लागत, तकनीक, लाभार्थी विवरण आदि शामिल हों। 

  • आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें जैसे: आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता, भूमि या जलाधार स्वीकृति/लीज़, बिजनेस/प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन, आदि। 

  • राज्य/केन्द्रीय मत्स्य विभाग की वेबसाइट या योजना पोर्टल पर जान लें कि आपके राज्य में आवेदन प्रक्रिया क्या है।

6.2 आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया (सामान्य रूप से)

उदाहरण के लिए:

  1. आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ – जैसे National Fisheries Development Board (NFDB) / Department of Fisheries, Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying की वेबसाइट।

  2. “Apply Online” लिंक खोजें या योजना-सेम्पल फॉर्म डाउनलोड करें।

  3. आवेदन फॉर्म में सही विवरण भरें — जैसे नाम, पता, बैंक खाते की जानकारी, चयनित गतिविधि, लागत, लाभार्थी श्रेणी आदि। 

  4. DPR व अन्य सहायक दस्तावेज (स्कैन की हुई) अपलोड करें। 

  5. सबमिट करें तथा आवेदन क्रमांक/अप्लाई-स्लीप प्राप्त करें।

  6. राज्य/जिला मत्स्य अधिकारी द्वारा आवेदन समीक्षा के बाद स्वीकृति/अनुदान की प्रक्रिया होती है।

  7. स्वीकृति मिलने पर बैंक/वित्तीय संस्थान व विभाग द्वारा अनुदान व फंड/ऋण की कार्यवाही होती है।

6.3 राज्य-विशिष्ट पहलू

  • कुछ राज्य अपनी मत्स्य पोर्टल बना चुके हैं जहाँ लाभार्थी पहले पंजीकरण कराएँगे। उदाहरण: झारखंड में पंजीकरण अनिवार्य। 

  • अलग-अलग राज्य में आवेदन की समय-सीमा, चयन / स्वीकृति प्रक्रिया व गतिविधि सूची भिन्न हो सकती है — इसलिए अपने राज्य मत्स्य विभाग की वेबसाइट देखें।

  • उदाहरण के तौर पर धार (मध्य प्रदेश) में आवेदन के लिए 30 दिसंबर तक आमंत्रण किया गया था। 

6.4 ध्यान देने योग्य बातें

  • आवेदन भरने से पहले दलाल व अनधिकृत प्रतियोगियों से सावधान रहें — आधिकारिक वेबसाइट/अधिकारी से सत्यापन करें।

  • DPR व लागत विवरण यथासंभव यथार्थ व व्यावहारिक रखें — अशक्य व अनावश्यक खर्च प्रस्ताव न करें।

  • बैंक खाता व आधार/पैन की जानकारी अपडेट रखें।

  • अनुदान मिलने के बाद कायदे से परियोजना क्रियान्वित करें व विभागीय निरीक्षण-मॉनिटरिंग हेतु तैयार रहें।

  • समय-समय पर राज्य/केंद्र की समीक्षा बैठकों में योजना की स्थिति व अपडेट देखें।

7. राजस्थान व उदयपुर

चूंकि आप राजस्थान के उदयपुर में हैं, इसलिए कुछ सुझाव आपके राज्य-विस्तार के आधार पर दिए जा रहे हैं:

  • राजस्थान के मत्स्य विभाग की वेबसाइट देखें कि राजस्थान में PMMSY की क्या-क्या गतिविधियाँ चालू हैं (उदाहरण-स्वरूप खारे/क्षारीय भूमि विकास, इनलैंड तालाब विकास)।

  • जिलास्तर पर मत्स्य विकास अधिकारी (जैसे उदयपुर जिले में) से संपर्क करें — आवेदन-प्रपत्र, राज्य-अनुदान दर, पंजीकरण प्लेटफार्म आदि का विवरण प्राप्त करें।

  • तालाब/हैचरी/फीड यूनिट आदि शुरू करना चाहते होंगे तो स्थानीय जलाधार-स्वीकृति, भूमि/जल अधिकार आदि पहले सुनिश्चित करें।

  • नया/विस्तार-परियोजना प्रस्ताव सोच रहे हों तो DPR तैयार करवाना जरूरी है — जिसमे लागत, तकनीक, लाभ आदि स्पष्ट हो।

  • अनुदान के साथ-साथ बैंक ऋण व क्रेडिट-सहायता पर भी ध्यान दें — निजी निवेश भागीदारी भी जरूरी हो सकती है।

  • परियोजना शुरू होने के बाद संचालन-प्रबंधन, मानक-गुणवत्ता, वैल्यू चेन (प्रसंस्करण, बाजार पहुँच) पर ध्यान दें — सिर्फ उत्पादन नहीं, बिक्री व विपणन भी मायने रखते हैं।

  • यदि आप महिलाओं, SC/ST या विशेष श्रेणी के अंतर्गत आते हों तो अनुदान दर अधिक (≈ 60%) हो सकती है — यह आपके लिए लाभदायक होगा। 

8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. क्या सिर्फ मछली पकड़ने वाले ही लाभार्थी हो सकते हैं?

नहीं — इस योजना सिर्फ मछली पकड़ने तक सीमित नहीं है। मछली पालन (फार्मिंग), हैचरी, फीड यूनिट, कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग आदि गतिविधियाँ भी शामिल हैं। 

Q2. आवेदन के लिए क्या बैंक ऋण ज़रूरी है?

हाँ – अधिकांश गतिविधियों के लिए बैंक/वित्तीय संस्थान का भागीदारी जरूरी है क्योंकि लागत-शेयर व अनुदान-वित्तपोषण मॉडल लागू है। 

Q3. अनुदान कब मिलता है?

स्वीकृति के बाद परियोजना शुरू होती है और खर्च होने के बाद विभाग/राज्य/केंद्र द्वारा अनुदान की राशि जारी होती है। समय सीमा व प्रक्रिया राज्य-विशिष्ट हो सकती है।

Q4. क्या पहले “डिजिटल पंजीकरण” अनिवार्य है?

कुछ राज्यों में हाँ, अनिवार्य कर दिया गया है — जैसे झारखंड में। इसलिए अपने राज्य व जिले में स्थिति देखें। 

Q5. योजना कब तक चालू है?

परिचालन अवधि वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक निर्धारित थी। 
हालाँकि आगे भी आगे-विस्तार या अतिरिक्त फेज हो सकती है — नवीन जानकारी हेतु विभाग की वेबसाइट देखें।


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