प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana)
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ की लगभग 65% आबादी गाँवों में रहती है। इन ग्रामीण इलाकों का
विकास तभी संभव है जब वहाँ तक पक्की सड़कें (All-weather roads) पहुँचें। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana – PMGSY) की शुरुआत की थी।
यह योजना ग्रामीण भारत को बेहतर connectivity देने के लिए एक flagship programme है, जिसे भारत सरकार
के ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of
Rural Development) द्वारा
संचालित किया जाता है।
योजना की
शुरुआत और इतिहास (History and Launch)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) को 25 दिसंबर 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने लॉन्च किया था।
उस समय भारत में लाखों गाँव ऐसे थे जहाँ तक कोई
पक्की सड़क नहीं थी। बारिश के मौसम में ये गाँव बाहरी दुनिया से कट जाते थे। इसलिए
सरकार ने सोचा कि अगर गाँव-गाँव तक पक्की सड़क पहुँचेगी तो:
किसानों को
अपनी उपज मंडी तक ले जाने में सुविधा होगी,
ग्रामीणों
को शिक्षा, स्वास्थ्य
और रोजगार तक पहुँच मिलेगी,
और ग्रामीण
अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी।
इस योजना का उद्देश्य था कि सभी गाँवों को year-round road connectivity प्रदान की जाए — यानी ऐसी सड़कें जो हर मौसम में चलने योग्य (All-weather roads) हों।
प्रधानमंत्री
ग्राम सड़क योजना का उद्देश्य (Objectives
of PMGSY)
PMGSY का मुख्य
उद्देश्य बहुत सीधा और स्पष्ट है —
“हर गाँव को सड़क से जोड़ना।”
परंतु इसके साथ-साथ इसके कुछ specific goals भी हैं:
Unconnected
Villages को जोड़ना:
जिन गाँवों तक पक्की सड़क नहीं है, उन्हें मुख्य सड़क नेटवर्क से जोड़ना।
All-weather
Connectivity:
सड़क ऐसी बनाना जो बारिश, गर्मी, ठंड — किसी भी मौसम में usable रहे।
ग्रामीण
क्षेत्रों का आर्थिक विकास:
सड़कें बनने से व्यापार, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ बेहतर होती हैं।
Social
Integration बढ़ाना:
सड़कें लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती हैं, जिससे सामाजिक संबंध और एकता मजबूत होती है।
Infrastructure
Development:
ग्रामीण infrastructure
को urban
standard के करीब लाना।
योजना के
चरण (Phases of PMGSY)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को तीन मुख्य
चरणों में विभाजित किया गया है:
🔹 PMGSY
Phase I (2000 – 2012)
मुख्य फोकस:
सभी unconnected
habitations को जोड़ना।
Population
criteria: 1000+ आबादी वाले गाँव (पहाड़ी, जनजातीय इलाकों में 500+ आबादी)।
इस फेज में 5.99 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण प्रस्तावित था।
Phase I के दौरान ग्रामीण इलाकों तक connectivity
में ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला।
🔹 PMGSY
Phase II (2013 – 2019)
अब ध्यान existing roads के upgradation और maintenance पर गया।
इस चरण में 50% cost केंद्र सरकार और 50% राज्य सरकार वहन करती है।
साथ ही, ग्रामीण सड़कों को बेहतर design और durability देने पर जोर दिया गया।
🔹 PMGSY
Phase III (2019 – वर्तमान)
Phase III की शुरुआत 2019 में हुई।
Focus: बेहतर market connectivity, ग्रामीण infrastructure को मजबूत बनाना।
इस फेज में 1.25 लाख किमी ग्रामीण सड़कों को upgrade किया जाना है।
इसकी estimated cost लगभग ₹80,000 करोड़ है।
Implementation
period: 2019 से 2025 तक।
योजना की
प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of PMGSY)
Centrally
Sponsored Scheme:
PMGSY एक centrally
sponsored scheme है, जिसमें खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर करती हैं।
Rural
Connectivity:
ग्रामीण इलाकों में हर मौसम में usable roads प्रदान करना इसका मुख्य
उद्देश्य है।
GIS-based
Planning:
अब योजना की मॉनिटरिंग और प्लानिंग GIS (Geographic Information System) और Satellite
Imagery के माध्यम
से की जाती है।
Transparency
और Accountability:
सभी प्रोजेक्ट्स की जानकारी Online Management, Monitoring and Accounting
System (OMMAS) पोर्टल पर
उपलब्ध है।
Green Roads
Concept:
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए अब “Green Road Construction” पर जोर दिया
जा रहा है, जिसमें
स्थानीय और पुनर्चक्रित (recycled) materials का उपयोग होता है।
Maintenance
Policy:
हर सड़क के लिए 5 साल तक maintenance का अनुबंध किया जाता है, ताकि सड़कें टिकाऊ रहें।
योजना की
कार्यान्वयन प्रक्रिया (Implementation Process)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को लागू करने के
लिए एक systematic process अपनाई गई है:
Identification
of Villages:
राज्य सरकारें ऐसे गाँवों की सूची तैयार करती
हैं जो अभी तक सड़क नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं।
Preparation
of District Rural Road Plan (DRRP):
जिला स्तर पर सभी सड़कों का master plan बनाया जाता है।
Core
Network Selection:
इसमें तय किया जाता है कि कौन सी सड़कें
प्राथमिकता में आएंगी ताकि maximum population को benefit मिले।
Project
Proposal:
Detailed Project Reports (DPRs) बनाई जाती
हैं और Ministry को भेजी जाती हैं।
Approval
& Fund Allocation:
Ministry of Rural Development approval देती है और funds release करती है।
Execution:
राज्य की Rural Roads Development Agencies (SRRDAs) और Project Implementation Units (PIUs) सड़कों का निर्माण करती हैं।
Monitoring:
सड़क निर्माण की गुणवत्ता और प्रगति की निगरानी
केंद्रीय स्तर पर NQM
(National Quality Monitors) और राज्य स्तर पर SQM (State Quality Monitors) करते हैं।
फंडिंग
पैटर्न (Funding Pattern)
|
क्षेत्र का प्रकार |
केंद्र सरकार का हिस्सा |
राज्य सरकार का हिस्सा |
|
सामान्य राज्य (Normal States) |
60% |
40% |
|
उत्तर-पूर्वी राज्य, हिमालयी राज्य |
90% |
10% |
|
केंद्र शासित प्रदेश (UTs) |
100% |
0% |
अब तक की
उपलब्धियाँ (Achievements of PMGSY)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भारत की सबसे सफल
ग्रामीण विकास योजनाओं में से एक रही है।
कुछ प्रमुख
उपलब्धियाँ:
6 लाख से अधिक गाँव सड़क नेटवर्क से जोड़े जा चुके हैं।
8 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है।
2025 तक 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों के अपग्रेडेशन का लक्ष्य निर्धारित है।
भारत के 99% से अधिक आबादी वाले गाँव अब All-weather roads से connected हैं।
योजना से
लगभग 20 करोड़ से अधिक ग्रामीण लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ मिला है।
योजना के
लाभ (Benefits of PMGSY)
कृषि
क्षेत्र को लाभ:
किसान अब अपनी फसल आसानी से मंडी तक पहुंचा सकते
हैं।
शिक्षा में
सुधार:
बच्चों को स्कूल और कॉलेज तक पहुंचने में सुविधा
मिली।
स्वास्थ्य
सुविधाएँ बेहतर हुईं:
एम्बुलेंस और मेडिकल सेवाएँ अब गाँवों तक पहुँच
पा रही हैं।
रोजगार के
अवसर:
सड़क निर्माण से लाखों लोगों को अस्थायी और
स्थायी रोजगार मिला।
महिला
सशक्तिकरण:
बेहतर सड़कें होने से महिलाएँ रोजगार और शिक्षा
दोनों में अधिक भागीदारी कर पा रही हैं।
Social and
Economic Integration:
गाँव और शहरों के बीच की दूरी घटने से ग्रामीण
अर्थव्यवस्था सशक्त हुई है।
डिजिटल
इनोवेशन और टेक्नोलॉजी का उपयोग (Use of
Technology in PMGSY)
सरकार ने इस योजना को आधुनिक बनाने के लिए कई
तकनीकी उपाय अपनाए हैं:
OMMAS
Portal:
यह एक Online Management System है जहाँ सभी डेटा जैसे DPRs, लागत, गुणवत्ता
रिपोर्ट आदि देखी जा सकती हैं।
GeoPMGSY
Mobile App:
इस ऐप से सड़क निर्माण की निगरानी रीयल टाइम में
की जाती है।
GIS
Mapping:
सभी सड़कों का डिजिटल मैप बनाया जा चुका है।
E-Marg and
E-Tendering:
सभी टेंडरिंग प्रक्रियाएँ ऑनलाइन हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है।
चुनौतियाँ (Challenges Faced)
Remote और Hilly Areas:
पहाड़ी इलाकों में सड़क निर्माण अब भी मुश्किल
है।
Quality
Issues:
कुछ राज्यों में निर्माण की गुणवत्ता कमजोर रही
है।
Maintenance
Problem:
5 साल बाद सड़कों की मरम्मत में लापरवाही देखने को
मिलती है।
Funding
Delay:
कुछ राज्यों में फंड जारी होने में देरी से
प्रोजेक्ट अटक जाते हैं।
Land
Acquisition Issues:
ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीन अधिग्रहण में
कभी-कभी विवाद होते हैं।
सरकार के नए
कदम (Recent Developments and Updates)
सरकार ने “PMGSY-III” में District and Block Headquarters को जोड़ने पर फोकस किया है।
Green
Technologies जैसे Plastic waste roads, Cold mix technology का उपयोग किया जा रहा है।
Geo-tagging
of Roads अनिवार्य
किया गया है ताकि हर सड़क की निगरानी उपग्रह से हो सके।
2025 तक 100% rural connectivity का लक्ष्य तय किया गया है।
सफलता की
कहानियाँ (Success Stories)
बिहार और
झारखंड: पहले जहाँ
बारिश में गाँव कट जाते थे, अब पक्की
सड़कों से हर मौसम में संपर्क बना रहता है।
उत्तराखंड: पहाड़ी गाँवों तक सड़क पहुँचने से पर्यटन और
रोजगार दोनों बढ़े।
राजस्थान: ग्रामीण महिलाएँ अब पास के शहरों में काम करने
और पढ़ने जा सकती हैं।
भविष्य की
संभावनाएँ (Future Prospects)
- Smart Roads: सेंसर और IoT आधारित सड़कों का विकास।
- Sustainable Construction: ग्रीन टेक्नोलॉजी का और अधिक प्रयोग।
- Village-Level Monitoring: हर ग्राम पंचायत को सड़क निगरानी में शामिल
करना।
- Integration with Other Schemes: जैसे प्रधानमंत्री ग्राम आवास योजना, जल जीवन मिशन आदि से जोड़ना।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदल दिया है।
आज देश के लगभग हर गाँव तक पक्की सड़क पहुँच
चुकी है। इससे न सिर्फ़ आर्थिक विकास हुआ है बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक परिवर्तन भी आया है।
यह योजना केवल सड़कों का जाल नहीं बुन रही, बल्कि “गाँव से शहर तक विकास की डोर” को मजबूत बना रही है।

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